गुलाम भारत में संप्रभुता एवं स्वावलंबन के सूत्रो की खोज खण्ड-ग
वे कहते हैं कि ''अंग्रेजी राज के दौरान हिन्दुस्तान की दशा एक रंक (कंगाल) जैसी हो गई है। हिन्दुस्तान अंग्रेजों से नहीं, बल्कि आजकल की (आधुनिक) सभ्यता से कुचला जा रहा है, उसकी चपेट में वह फंस गया है। उसमें से बचने का अभी भी उपाय है, लेकिन दिन-ब-दिन समय बीतता जा रहा है। मुझे तो धर्म प्यारा है परंतु हिन्दुस्तान धर्मभ्रष्ट होता जा रहा है। धर्म का अर्थ मैं यहाँ हिन्दू, मुस्लिम या जरथोस्ती धर्म नहीं करता। लेकिन इन सब धार्मों के अंदर जो 'धर्म' है वह हिन्दुस्तान से जा रहा है; हम ईश्वर से विमुख (अलग) होते जा रहे हैं।'' धर्म से विमुखता गांधीजी की सबसे पहली चिंता है। उनकी यह चिंता उन्हें भारत के अधिकांश आधुनिक चिंतकों से अलग करके स्वामी रामकृष्ण परमहंस जैसे सनातनी सिध्दों और धर्म से अनुप्राणित आम भारतीय नर-नारियों से जोड़ देती है
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