Dr Amit Kumar Sharma

लेखक -डा० अमित कुमार शर्मा
समाजशास्त्र विभाग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली - 110067

महात्मा गांधी का हिन्द स्वराज

हिन्द स्वराज की प्रासंगिकता

 


महात्मा गांधी का हिन्द स्वराज

गुलाम भारत में संप्रभुता एवं स्वावलंबन के सूत्रो की खोज

खण्ड-ग
भारतीय सभ्यता के सूत्र 
अंश-अ
हिन्दुस्तान की गुलामी एवं आजादी के सूत्र      
हिन्दुस्तान कैसे आजाद हो?

 

गांधीजी कहते हैं कि हर सभ्यता पर आफतें आती हैं। जो सभ्यता अचल है यानी जो सनातनी मूल्यों पर टिकी हुई है वह आखिरकार आफतों को दूर कर देती है। हिन्दुस्तान की सभ्यता में कोई न कोई कमी आ गई थी, इसलिए यह सभ्यता आफतों से घिर गयी। लेकिन इस घेरे से छूटने की ताकत उसमें है, यह उसके गौरव को दिखाता है। और फिर सारा हिन्दुस्तान गुलामी में घिरा हुआ नहीं है। जिन्होंने पश्चिमी शिक्षा पाई है और जो उसके पाश में फंस गये हैं, वे ही गुलामी में घिरे हुए हैं। हमारी अपनी गुलामी मिट जाय, तो हिन्दुस्तान की गुलामी मिट गई ऐसा मान लेना चाहिए। हम अपने ऊपर राज करें वही स्वराज है; और वह स्वराज हमारी हथेली में है। इस तरह, गांधीजी स्वराज का आधार संकल्प शक्ति एवं नैतिक बल को मानते हैं न कि आर्थिक, राजनैतिक एवं सैनिक कारकों को। वे पाठक से कहते हैं कि इस स्वराज को सपने जैसा न मानें। मन से मानकर बैठे रहने का भी यह स्वराज नहीं है। यह तो ऐसा स्वराज है कि अगर  आपने इसका स्वाद चख लिया हो, तो दूसरों को इस स्वराज का स्वाद चखाने के लिए आप जिन्दगी भर प्रेरित करते रहेंगे। गांधीजी के अनुसार सच्चे स्वराज के लिए अंग्रेजों को देश से निकालने का उद्देश्य सामने रखने की जरूरत नहीं है। अगर अंग्रेज इस देश में हिन्दुस्तानी बनकर रहें, तो हम यहाँ उनका स्वागत कर सकते हैं। परंतु अगर अंग्रेज लोग अपनी सभ्यता के साथ यहाँ शासक के रूप में रहना चाहें, तो हिन्दुस्तान में उनके लिए अवश्य जगह नहीं है। ऐसे हालात पैदा करना हमारे हाथ में है कि अपने स्वार्थ की पूर्ति में बाधा देखकर अंग्रेज खुद इस देश को छोड़कर भाग जायें। हर देश की हालत एक सी नहीं होती। दूसरी सभ्यताओं से तुलना करने पर हिन्दुस्तान का बल असाधारण है। इसलिए दूसरे देश के इतिहास से हमें ज्यादा सीख या प्रेरणा नहीं मिल सकती। दूसरी सभ्यतायें मिट्टी में मिल गयीं, जबकि हिन्दुस्तानी सभ्यता के अस्तित्व को ऑंच नहीं आयी है। जहाँ तक हिन्दुस्तान की आजादी का प्रश्न है, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अंग्रेजों को यहाँ लानेवाले हम ही हैं और वे हमारी बदौलत ही यहाँ रहते हैं। हमने उनकी सभ्यता अपनायी है, इसलिए वे यहाँ रह रहे हैं।  जिस दिन एक देश के रूप में हिन्दुस्तान का स्वाभिमान जाग गया और हमने उनकी शैतानी सभ्यता का आकर्षण त्याग दिया उसी क्षण हमें गुलामी से आजादी मिल जायेगी। अंग्रेजों की सेना धारी की धारी रह जायेगी। उन्हें इस देश में रहने का कोई आधार ही नहीं बचेगा। और वे तो व्यापारी लोग हैं। व्यावसायिक नुकसान सहने की तो उनमें साहस ही नहीं है। बिना लोभ-लालच की प्रेरणा के वे कहीं भी कुछ नहीं करते। और लोभ-लालच की पूर्ति के लिए हर अच्छा-बुरा काम करते हैं। अत: हमें अंग्रेजों को नहीं उनके स्वार्थ को नुकसान पहुँचाना चाहिए। हमें अंग्रेजों से नहीं उनकी सभ्यता से नफरत करनी चाहिए।

  डा० अमित कुमार शर्मा के अन्य लेख  

 

 

top