गुलाम भारत में संप्रभुता एवं स्वावलंबन के सूत्रो की खोज खण्ड-ग
गांधीजी की पाँचवी चिंता यह है कि लोग अंग्रेजों के इस कुप्रचार को सच मानते हैं कि हिन्दुस्तानी लोग अंग्रेजों और रेलवे के आने से पहले एक राष्ट्र नहीं थे और एक-राष्ट्र बनने में हम लोगों को सैकड़ो बरस लगेंगे। गांधीजी साफ-साफ कहते हैं कि यह बिलकुल बेबुनियाद बात है। जब अंग्रेज हिन्दुस्तान में नहीं थे तब भी हम एक-राष्ट्र थे, हमारे विचार एक थे। हमारा रहन-सहन एक था। तभी तो अंग्रेजों ने यहाँ एक राज्य कायम किया। हमारे बीच भेद तो बाद में उन्होंने ही पैदा किया। एक राष्ट्र का अर्थ यह नहीं कि हमारे बीच कोई मतभेद नही था। परंतु हमारे बीच एकता के महत्तवपूर्ण सूत्र प्राचीन काल से रहे हैं। हमारे यहाँ रेलवे नहीं थी लेकिन हमारे समाज के प्रमुख लोग पैदल या बैलगाड़ी में हिन्दुस्तान का सफर करते थे। वे लोग एक दूसरे की भाषा सीखते थे। देश के चारो कोनों तक लोग तीर्थ करने जाते थे। हमारे यहाँ एकता के सूत्र अलग प्रकार के रहे है।
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