Dr Amit Kumar Sharma

लेखक -डा० अमित कुमार शर्मा
समाजशास्त्र विभाग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली - 110067

भारतीय समाज की अंतर्धारा: समाज, खेल एवं सिनेमा

भारतीय समाज की अंतर्धारा: समाज, खेल एवं सिनेमा

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भारत देश के समाज की अंतर्धारा का उत्स कला और धर्म है। खेल और सिनेमा इसी अंतर्धारा की अभिव्यक्तियां हैं। इस देश की राजनीति और अकादमिक बौध्दिकता पर अंग्रेजी राज का प्रभाव अब भी है लेकिन इसके समाज,खेल,सिनेमा एवं उद्यमशीलता पर उपनिवेशवादी प्रभाव का क्षरण हो चुका है। इसमें भारत के स्वतंत्रता संग्राम (1857 से 1947) की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 1913 से ही भारतीय सिनेमा इस आंदोलन का सांस्कृतिक आयाम रहा है। फिर हॉकी और क्रिकेट में भी राष्ट्रवादी रूझान सामने आया। गाँवों और छोटे शहरों की अंतर्धारा अंग्रेजी राज में भी अक्षुण्ण बनी हुई थी। अंग्रेजों का सबसे ज्यादा प्रभाव अंग्रेजी पढ़े मध्यमवर्ग और महानगरों के निवासियों पर रहा है। इन महानगरों का विकास भी  अंग्रेजी राज में ही हुआ था। कुल मिलाकर उपनिवेशवादी विरासत का अंतिम खंडहर इस देश की राज्य व्यवस्था और राजनीति द्वारा पोषित संस्थाओं में अब भी कायम है। यह तो इस देश का सौभाग्य है कि यह अपने अंतर्विरोधों के बावजूद सत्ता और सरकार से निरपेक्ष होकर आनंद में रहता है। प्रकृति ने भारत को अपने में आनंद से रत्त स्वायत्त ईकाई बनाया था जिसमें तीन तरफ से समुद्र और एक तरफ से पहाड़ था।

यह तो हमने देश का बंटवारा हो जाने दिया। साथ ही तिब्बत चीन को दे दिया। वर्ना न हम किसी से लड़ते हैं न कोई हमसे लड़ता। देश का बंटवारा नहीं होता तो 1962 का भारत-चीन युध्द भी शायद ही होता। चीन भी मूलत: पाकिस्तान का ही इस्तेमाल करता है। बंटवारा नहीं होता तो दंगे ज्यादा होते। लड़ाई-झगड़ा होते रहता लेकिन कुछ मिलाकर उसका कुफल कम होता। सेना का बजट कम होता। युध्द कम होते। चीन की भी आक्रमण करने की हिम्मत नहीं होती। यह गांधी की दृष्टि थी। गांधवादी लोग अब भी ऐसा मानते हैं। कुछ हिंदूवादी ऐसा मानते हैं कि बंटवारा हिन्दुओं के लिए अच्छा हुआ नहीं तो भारत का भी वही हाल होता जो पाकिस्तान और बंगला देश का है। मुसलमान लोग स्व-शासन एवं स्वराज के लिए समर्थ नहीं है। वे लोग स्व-शासन के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं। (Muslims are not good for self rule. They are not competent for self rule). इनकी नजर में सरदार पटेल इस देश के स्वाभाविक नेता थे और नरेन्द्र मोदी हैं। मुसलमान केवल भयभीत होकर शांत रह सकते हैं। इस्लाम एक राजनीतिक विचारधरा है। इसमें धर्म का element या तत्व बहुत कम है। पिछले 100 वर्षों में उनके पास लड़ाके हुए हैं। उनके बीच धर्म प्रचारक या उपदेशक कितने हुए हैं। बिन लादेन, दाउद इब्राहिम, मुख्तार अंसारी, सिवान वाला शहाबुदीन, मुसर्रफ, जियाउल हक, गुलबुद्दीन हिकमतयार, सद्दाम हुसैन, अहमदनदीजाद, मौलाना उमर, अब्दुला बुखारी आदि। उनके बीच बाबा रामदेव, श्री श्री रविशंकर, महेश योगी, ओशो रजनीश, अवधेशानंद गिरी जैसे लोकप्रिय प्रचारक क्यों नहीं हैं?

जिस तरह की समालोचना (critique) , जिस तरह का सवाल अमेरिकी विश्वविद्यालयों एवं प्रतिष्ठान ने कम्युनिस्टों की विचारधारा के खिलाफ खड़ा किया था उस तरह का मारक अकादमिक  समालोचना पश्चिम ने इस्लाम के खिलाफ अब भी नहीं चलाया है। वे केवल बुरे तालिबान या जेहादी इस्लाम को निशाना बनाते रहे हैं। वे केवल इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ हैं, इस्लाम की गंभीर समालोचना से वे अभी भी बचते रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण दोनों की साझी विरासत है। दोनों सेमेटिक धर्म हैं। जो आलोचना कुराण और इस्लाम पर लागु होगी वह बाइबिल और ईसाईयत पर भी लागु होगी। ज्ञानोदय के (enlightenment) के जिस जोश में पश्चिमी राजनीतिक अर्थशास्त्र का सेक्युलराइजेशन और समाज का रेशनलाइजेशन हुआ था वह अब पश्चिम में कमजोर पड़ चुका है। अब पश्चिम रक्षात्मक हो चुका है। पश्चिम की मूल प्रतियोगिता अब चीन एवं भारत से है। ऐसे भी अमेरिकी शासको को गैरप्रजातांत्रिक एवं गैरसंप्रदाय निरपेक्ष मुसलिम देश एवं शासक ज्यादा रास आते हैं। अत: वे बुरे तालिबान के खिलाफ 'अच्छे तालिबान' को लड़ाने का नीति पर काम कर रहे हैं। मुसलिम इतिहास की यह अजीब विडंबना है कि मुसलमानों ने मुसलमानों को हीं ज्यादा मारा है, काफिरों को बहुत कम मारा है। यह तो हमारे नेतृत्व की कमजोरी है कि हमारे यहां आतंकवादी हमले लगातार होते रहते हैं और हम पकड़े गए आतंकवादियों को सजा देने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं वर्ना वे हमें नहीं मार सकते थे।

न्यूजीलैंड में भारत ने 33 साल से भी अधिक समय बाद वन डे सीरीज जीती है। 1968 में मंसूर अली खां पटौदी की अगुआई में भारत ने 3-1 से टेस्ट सीरीज जीती थी। भारत ने  लगातार चौथी सीरीज अपने नाम की। भारत ने इंग्लैंड से सीरीज जीतने के बाद न्यूजीलैंड दौर से पहले श्रीलंका और आस्ट्रलिया को उसी की सरजमीं पर हराया था। वीरेन्द्र सहवाग ने 60 गेंदों पर शतक बनाकर अजहरूदीन के 62 गेंद पर शतक के भारतीय रेकार्ड को तोड़ा। वे पहले तिहरा शतक लगा चुके हैं। कुछ लोग सहवाग के फुटवर्क के बारे में अंगुली उठाते हैं लेकिन गावस्कर के अनुसार तकनीकी खामी से खेल प्रभावित नहीं होता। धोनी ब्रिगेड ने भारत को क्रिकेट की बादशाहत दिला दी है।

क्रिकेट की तरह ही मनोरंजन की दुनिया में भी नई पीढ़ी कमाल कर रही है। टेलिविजन सीरियल की दुनिया में स्टार प्लस चैनल पर प्रसारित होने वाली एकता कपूर की सीरियलों का युग समाप्त हो गया है। नया टी .वी चैनल कलर्स की 'बालिका वधु' नामक सीरियल ने स्टार प्लस का सीरियल 'बिदाई' से लगभग दोगुना (ग्यारह) टी. आर. पी. लेकर सीरियल निर्माताओं की नींद हराम कर दी है। यह बेहतर ढ़ग से लिखित और निर्देशित सीरियल है तथा तकनीकी गुणवत्ता और अभिनय इत्यादि में यह अपनी समकालीन कृत्तियों से बहुत आगे है।

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