भारतीय राजनीति की विसंगतियां
पेज 4 (9) राजनीतिक प्रशिक्षण भारतीय संदर्भ में इसलिए भी जरूरी है चूंकि भारत विविधताओं वाला देश है। दो दलीय व्यवसथा या राष्ट्रपति प्रणाली में व्यक्ति पूजा के लिए पर्याप्त जगह होती है। इस तरह की व्यक्ति केन्द्रित व्यवस्था भारत में न केवल अव्यवहारिक है बल्कि नितांत अलोकतांत्रिक भी। कुछ साल से भारतीय मीडिया में मनोरंजन से लेकर खबर की दुनिया में व्यक्ति विशेष की विशिष्टता और पराक्रम पर काफी जोर दिया जा रहा है। समुदाय की साझी सोच और सहकारिता को हाशिए पर डालने का उपक्रम चल रहा है। वैश्वीकरण के समर्थन और नई आर्थिक नीतियों को इस गरीब देश का सपना बना देने का कोशिश में लगी देश की मुख्य राजनीतिक पार्टियों ने मुद्दों से भागने का यह बेहतर तरीका निकाल लिया है। वे नहीं चाहती कि मुद्यों पर बहस हो- वे व्यक्तियों पे बहस करना चाहती हैं। मीडिया आम चुनाव को सिंहासन का फाइनल या महासंग्राम कह कर इसे एक टूर्नामेंट या द्वंद्व-युध्द में बदलने की कोशिश कर रही है। दोनों ही बड़ी पार्टियां गठबंधन की मजबूरी के चलते अपनी अपनी मुरादें पूरी नहीं कर पा रही हैं। व्यक्ति को कमजोर और मजबूत बताकर वे अपनी इस पराजय को छिपाना चाहते हैं। आर्थिक विकास के उसी मॉडल को दोनों ने अपना लक्ष्य बना रखा है, जो अमेरिका समेत विकसित दुनिया में फैल चुका है। लालच और उपभोग पर आधारित इस आर्थिक संस्कृति से लड़ने की हिम्मत जुटा पाने में असमर्थ पार्टियां आतंकवाद के भूत का डर दिखा रही हैं और इससे लड़ने की ताकत को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रही हैं। सच्चाई यह है कि ऐसे मुद्यों पर किसी प्रधानमंत्री का वश नहीं होता। आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए एक जटिल समस्या है। दूसरी ओर लोकप्रियता की बुनावट रहस्यमय होती है। चमत्कारिक नेता और आवाम के बीच दिल से दिल का अबूझा संवाद होता है। चमत्कारिक नेता कुशल प्रबंधक या सक्षम प्रशासक भी हो यह आवश्यक नहीं है। एक सफल नेता में देश की परिस्थिति के बारे में गहरी समझ होना आवश्यक है। उसे अपने देश के इतिहास और भूगोल के साथ साहित्य , संस्कृति एवं दर्शन का ज्ञान भी होना चाहिए। उसके भाषण में उपयुक्त शब्दों के प्रयोग की कला दिखनी चाहिए। तीखे विरोध पर भी प्रतिक्रिया देने में संयम रखने का सामर्थ्य चाहिए।यह सब व्यक्ति के स्वभाव में भी शामिल हो सकता है लेकिन प्रशिक्षण से भी ये गुण आ सकते हैं। उसे नौरशाही से काम लेने के लिए कानून की बारीक जानकारी भी चाहिए। उसमें अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति करने और समझने का माद्दा भी होना चाहिए। उसके पास विकास के बारे में एक सुस्पष्ट नीति, दृष्टि एवं एजेंडा चाहिए। उसके पास natural resources and human resources management (प्राकृतिक संसाधन और मानव संसाधन प्रबंधन) का उपयुक्त प्रोग्राम चाहिए। उसके पास प्राकृतिक आपदाओं एवं दुर्घटनाओं से निपटने के लिए एक दीर्घकालिक नीति चाहिए।
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