Dr Amit Kumar Sharma

लेखक -डा० अमित कुमार शर्मा
समाजशास्त्र विभाग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली - 110067

भारतीय संस्कृति में शिक्षा: परम्परा एवं चुनौतियां

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भारतीय संस्कृति में शिक्षा: परम्परा एवं चुनौतियां

 

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स्वतंत्र भारत में शिक्षा

महात्मा गाँधी अंग्रेजी शिक्षा में अन्तर्निहित अभिजात्यवाद एवं भारतीय संदर्भ में इसकी अप्रासंगिकता की आलोचना करते थे। उनका मानना था कि अंग्रेजी शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास में बाधक है तथा यह भारत में अंग्रेजी पढ़े लिखे कुछ लोग और इस शिक्षा से वंचित बहुसंख्यक लोगों की संस्कृति में दूरी पैदा करती है। वह अपने ही देश में शिक्षित लोगों को अजनबी बनाती है। अत: गाँधीजी इस शिक्षा को 'बौध्दिक शगल' कह कर इसकी आलोचना करते गाँधीजी ने स्वतंत्र भारत के लिए 'बुनियादी शिक्षा'  या 'नई तालीम' के नाम से शिक्षा का एक नया प्रारूप तैयार किया। इसमें ज्ञान प्राप्ति के व्यवहारिक तरीकों पर ज्यादा जोर था। नई तालीम के द्वारा गाँधीजी हर गाँव, समुदाय तथा संपूर्ण देश को आत्म-निर्भर बनाना चाहते थे। नई तालीम के द्वारा वे सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सृजनकारी कौशलों जैसे सूत कातना, कपड़ा बुनना, बढ़ईगिरी, कुम्भकारी तथा पशुपालन आदि का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को देने के पक्ष में थे।

            गाँधीजी हस्तशिल्प को विद्यार्थियों के विचारों को व्यवहार से जोड़ने का एक साधन मानते थे जिससे उनमें अधययन के प्रति जिज्ञासा और उत्साह जागृत किया जा सकता था। सात वर्षों तक नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान, प्रशिक्षण का माधयम मातृ-भाषा, शिक्षा का शारीरिक प्रशिक्षण, शिल्प, व्यवसाय एवं उत्पाद कार्य से जुड़ा होना तथा शिक्षा व्यवस्था का स्वावलंबी होना बुनियादी शिक्षा के मुख्य उद्देश्य थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गाँधीजी की योजना क्रियान्वित नहीं हो सकी।

            रवीन्द्रनाथ टैगोर भी उपनिवेशवादी शिक्षा के आलोचक थे। इसके विदेशी चरित्र, दैनिक जीवन की लय से दूरी एवं प्रशिक्षण के माधयम के रूप में अंग्रेजी भाषा का उपयोग उन्हें स्वीकार्य नहीं था। इसके विपरीत वे विद्यार्थी केन्द्रित सर्वांगीण शिक्षा का प्राचीन गुरूकुलों वाले प्रतिमान का ही समर्थन करते थे।

            गाँधीजी एवं टैगोर की तुलना में, भारत के प्रथम प्रञनमंत्री नेहरु आधुनिक शिक्षा के पक्षघर थे। वे आधुनिक भारत में शिक्षा को औद्योगिक, तकनीकी, वैज्ञानिक तथा प्रजातांत्रिक विकास के शक्तिशाली वाहक बनाना चाहते थे। उन्होंने इस दृष्टि से शिक्षा को नियोजित करने के लिए 'राधाकृष्णन कमीशन' की स्थापना की। इस कमीशन (1948-49) का केन्द्रीय लक्ष्य भारतीय  संविधान के मूल उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षा के द्वारा उपाय एवं साधन प्रस्तावित करना था। इस कमीशन ने विकास के दार्शनिक, वैज्ञानिक एवं तकनीकी आयामों की प्रस्तावना की। संविधान में अंतर्निहित मूल्यों की प्राप्ति के लिए इस कमीशन ने विज्ञान और तकनीक के अधययन पर विशेष बल दिया। ग्रामीण पुनर्निर्माण में मदद देने के लिए इसने ग्रामीण विश्वविद्यालयों की स्थापना की प्रस्तावना की। इस कमीशन ने उच्च शिक्षा पर  अधिक बल दिया।
सरकार ने डी. एस. कोठारी की अधयक्षता में एक दूसरे कमीशन की स्थापना की। इसे कोठारी कमीशन (1964-66) के नाम से जाना जाता है। यह शिक्षा के सभी-स्तरों से     संबंधित है तथा राष्ट्रीय विकास की दृष्टि से इसने विभिन्न स्तरों पर शिक्षा की भूमिका का परीक्षण किया। आधुनिक भारत में उत्पादकता, आत्म-निर्भरता, आर्थिक विकास तथा रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए यह वैज्ञानिक शिक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करता है। कोठारी कमीशन की प्रस्तावना है कि :-
1.         विज्ञान इस रूप में पढ़ाया जाना चाहिए कि विद्यार्थी इसके बुनियादी सिध्दान्तों को समझ सके।
2.         समस्या समाञन करने की विश्लेषण क्षमता का विकास हो तथा भौतिक वातावरण एवं सामाजिक जीवन की समस्याओं के समाधान के लिए वैज्ञानिक सिध्दान्तों का उपयोग हो सके।
3.         यह अन्वेषण और प्रयोगात्मकता की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) ने तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना एक आवश्यकता बताया ताकि उद्योग एवं अर्थव्यवस्था को विकसित किया जा सके। इसने कंप्यूटर शिक्षा के महत्व की चर्चा की। इस प्रकार स्वतंत्र भारत में शिक्षा प्राथमिक रूप से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की ओर उन्मुख है। समकालीन भारत में शिक्षा का दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष भारतीय संस्कृति का संरक्षण, संवर्धन तथा प्रचार-प्रसार रहा है। भारतीय शिक्षा ने ऐसी मनोवृत्ति के विकास की कोशिश की है जो पश्चिमी आधुनिकता एवं भारतीय सांस्कृतिक परंपरा दोनों के प्रति ग्रहणशील हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) ने घोषणा की कि देश की सांस्कृतिक परंपरा की निरंतरता एवं आधुनिक तकनीकों द्वारा प्रतिनिधित्व परिवर्तनोमुखी प्रवृत्तियों के बीच समन्वय शिक्षा के द्वारा संभव है।

 

 

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